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swadeshi dal bati (स्वदेशी दाल बाटी) भारतीय समाज में भोजन (पकवान) के विशेष महत्व है, swadeshi dal bati (स्वदेशी डाल बाटी): एक स्वादिष्ट पकवान (व्यंजन)की कहानी इसे बनाने की विधि। भारतीय समाज में भोजन को सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक रूप से देखा जाता है। भारत में अलग अलग त्योहारों पर अलग-अलग व्यंजनों को बनाया जाता है।
भारतीय संस्कृति में भोजन को एक सामाजिक समारोह के रूप में भी देखा जाता है, जिसमें परिवार और रिश्तेदारों को एक साथ लाने का महत्वपूर्ण अवसर मिलता है। इसके अलावा, भारतीय खाने की विविधता और स्वाद भी इसे विशेष बनाते हैं।
swadeshi dal bati |
स्वदेशी दाल बाटी (swadeshi dal bati) : एक परिचय
swadeshi dal bati एक भारतीय पकवान है जिसे पहली बार राजस्थान में मेवाड़ साम्राज्य के संस्थापक बप्पा रावल के शासनकाल में बनाया गया। उस समय युद्ध के दौरान खाए जाने वाले भोजन के रूप में दाल बाटी को देखा जाता था।स्वदेशी दाल बाटी का इतिहास (history of swadeshi dal bati)
दाल बाटी राजस्थान का एक प्रसिद्ध व्यंजन है जिसे पूरे भारत में पसंद किया जाता है। दाल बाटी कोमालवा-निमाड़ क्षेत्र में भी दाल बाफला के नाम से जानी जाती है। राजस्थान में वीकेंड पर अथवा छुट्टी के दिन पसंद किया जाने वाला पसंदीदा व्यंजन है। swadeshi dal bati को तुवर दाल, चना दाल, मूंग दाल आदि मिलाकर करके तैयार किया जाता है।
स्वदेशी दाल बाटी (swadeshi dal bati) खाने के फायदे :
- फाइबर का स्रोत : दाल बाटी में फाइबर होता है जो हमारे पाचनतंत्र को मजबूत बनाने में मदद करता है। जिससे कब्ज से राहत, वजन को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।
- विटामिन और मिनरल्स: दाल बाटी में अनेक प्रकार के विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं जो हमारे सेहत के महत्पूर्ण है जैसे कि विटामिन सी, विटामिन ए, और आयरन, पाए जाते हैं, जो सेहत के लिए महत्वपूर्ण है।
स्वदेशी दाल बाटी (swadeshi dal bati) को बनाने की प्रक्रिया:
- सामग्री :
1 कप गेहूं का आटा 1/4 कप रवा (सूजी)
4 टेबलस्पून घी या तेल + पिघला हुआ घी (बाटी डुबोने के लिए)
नमक स्वादानुसार
दूध या पानी आवश्यकता अनुसार
पंचमील दाल परोसने के लिए
- विधि :
- सबसे पहले ओवन को 190 डिग्री सेल्सियस (375 डिग्री फारेनहाइट) पर प्रिहीट करें। एक बर्तन में गेहूं का आता छान लें और उसमें सूजी, बेकिंग सोडा, 4 टेबलस्पून घी और नमक डाल कर अच्छे से मिक्स कर लें।
- अब इसमें थोड़ा दूध डालकर एक सख्त आटा गूंथ लें। याद रखिए की यह पराठे की आटे से थोड़ा सख्त होना चाहिए। अब इसे ढककर 20 से 25 मिनट रख दें ताकि आटा अच्छे से सेट हो जाए।
- अब गूंथे हुए आटे से छोटी छोटी डो बना ले, अगर गूंथे हुए आटे में कुछ दरारें है तो भी कोई दिक्कत नहीं है। हर डो को अपनी हथेलियों के बीच में रखकर दबाएं और इन्हें एक बेकिंग ट्रे पर रख दे।
- बेकिंग ट्रे को पहले से गर्म ओवन में रखें और इसे 10 से 15 मिनट के लिए छोड़ दें।
- अब सभी बाटियों को पलटकर 10 से 15 मिनट और छोड़ दें।
- अब एक छोटा बाउल (कटोरे) में पिघला हुआ घी लें और सभी बाटी को घी में डुबाकर एक प्लेट में रख लें। अब बाटी को तोड़े और उसके ऊपर घी डालें, और ऊपर से पंचमेल दाल डालें और राजस्थानी चूरमा, लहसुन की चटनी और पापड़ के साथ सर्व करें।
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बिना ओवन के बाटी कैसे बनाएं ?
बाटी को गर्म तेल में मीडियम लो आंच पर पकाएं जब तक कि उसमे गोल्डन ब्राउन रंग न आने लग जाए। बाटी को दोनो तरफ से ग्लोडेन ब्राउन होने तक पका ले। तैयार है गरमागरम घर में बनी हुई शुद्ध स्वदेशी दाल बाटी (swadeshi dal bati).यह ब्लॉग लेख भारतीय भोजन संस्कृति के महत्व को उजागर करता है और स्वदेशी खाद्य सामग्रियों के महत्व को समझाता है।
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Sweets